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नियमितीकरण से छूटे 1368 पीटीए शिक्षकों को बड़ी राहत, हाई कोर्ट ने 2018 से पक्का करने के दिए आदेश
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने नियमितीकरण से छूटे 1368 पीटीए शिक्षकों को राहत देते हुए उन्हें 2018 से नियमित करने के आदेश जारी किए हैं। न्यायाधीश सबीना व न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने लेफ्ट आउट पीटीए शिक्षकों की याचिकाओं को स्वीकारते हुए उन्हें पहली अप्रैल, 2018 से नियमित करने के आदेश दिए। प्रार्थियों के अनुसार शुरू में वे अन्य पीटीए अध्यापकों की तरह ग्रांट इन एड आधार पर लगे थे। वर्ष 2014-2015 में सरकार ने कछ शिक्षकों को अनुबंध पर लाया और पहली अप्रैल, 2018 से नियमित भी कर दिया, परंतु प्रार्थियों को छोड़ दिया गया। सरकार का कहना था कि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने और थे। वर्ष 2014-2015 में सरकार ने कछ शिक्षकों को अनुबंध पर लाया और पहली अप्रैल, 2018 से नियमित भी कर दिया, परंतु प्रार्थियों को छोड़ दिया गया। सरकार का कहना था कि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने और सुप्रीम कोर्ट द्वारा यथास्थिति बनाए रखने के आदेशों के कारण प्रार्थियों को नियमितीकरण का लाभ नहीं दिया जा सका। सुप्रीम कोर्ट से फैसला पीटीए शिक्षकों के हक में आने के बाद उन्हें भी 20 अगस्त, 2020 से नियमित कर दिया गया।
शिक्षा विभाग का कहना था कि अन्य पीटीए शिक्षक जो 2014-15 में कांट्रेक्ट पर आ गए थे, उन्हें कांट्रेक्ट नियमितीकरण पॉलिसी का लाभ देते हुए पहली अप्रैल, 2018 से नियमित किया गया। कोर्ट ने सरकार के इस रवैए को मनमाना व भेदभावपूर्ण मानते हुए सभी लेफ्ट आउट पीटीए शिक्षकों को वर्ष 2018 से नियमितीकरण का लाभ देने के आदेश पारित किए। उल्लेखनीय है कि साल 2015 में नौकरी में गैप पीरियड व दस्तावेजों के शिक्षा निदेशालय में देरी से पहुंचने के चलते 1368 पीटीए शिक्षक अनुबंध पर आने से छूट गए थे। इस दौरान सरकार ने करीब 5100 पीटीए शिक्षकों को अनुबंध पर लिया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट में पंकज कुमार बनाम स्टेट केस विचाराधीन होने के चलते ये शिक्षक अनुबंध पर आने से छूट गए थे। इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए थे। वर्ष 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने पीटीए शिक्षकों के हक में फैसला दिया था। जिसके पश्चात लेफ्ट आउट पीटीए शिक्षक 2020 से ही नियमित किए गए, जबकि उनके साथ लगे कुछ शिक्षक साल 2018 से नियमितीकरण का लाभ ले रहे थे।