Also Read
हिमाचल में BJP के 12 MLA की टिकट खतरे में:2 मंत्री भी टारगेट पर; एंटी इनकंबेंसी से निपटने को नए चेहरों को मौका
हिमाचल में ‘मिशन रिपीट’ पर निकली BJP के 8 से 12 सिटिंग MLA के टिकट कट सकते हैं। एक-दो मंत्रियों की सीट भी खतरे में है। पार्टी के इंटरनल सर्वे और वर्करों के फीडबैक के बाद भाजपा इनकी जगह नए चेहरों को मौका देने के फार्मूले पर काम कर रही है।
हिमाचल में पिछले 37 साल का इतिहास है कि यहां कभी सरकार रिपीट नहीं हुई। BJP पांच साल से प्रदेश में सरकार चला रही है। ऐसे में भाजपा और उसके विधायकों-मंत्रियों को लेकर इस पहाड़ी प्रदेश के लोगों में नाराजगी है।
यह नाराजगी पार्टी के लोकल नेताओं को लेकर है। BJP या उसके केंद्रीय नेतृत्व से किसी को कोई खास शिकायत नहीं है। 5 साल की एंटी इनकंबेंसी और लोकल चेहरों के प्रति इस नाराजगी की काट ही है ‘चेहरा बदलो’ फार्मूला।
भाजपा से जुड़े सूत्रों के अनुसार, हाईकमान ने हिमाचल में भी विधानसभा चुनाव के ऐलान से पहले बाकी राज्यों की तरह दो से तीन लेवल के इंटरनल सर्वे करवाए हैं।
इन सर्वे में पार्टी के 12 से ज्यादा विधायकों की परफार्मेंस खराब आई है। 4 मंत्रियों का फीडबैक भी अच्छा नहीं आया। ऐसे में पार्टी दोबारा इन्हीं लोगों को उम्मीदवार बनाकर कांग्रेस को बढ़त बनाने का कोई मौका नहीं देना चाहती।
ज्यादातर विधायक-मंत्री लोअर हिमाचल के
पार्टी की ओर से कराए गए सर्वे में जिन सिटिंग विधायकों की परफॉर्मेंस खराब आई है, उनमें से 90% लोअर हिमाचल से ताल्लुक रखते हैं। हमीरपुर, बिलासपुर, कांगड़ा, कुल्लू और मंडी जिले की कई सीटों पर लोगों को नए चेहरे देखने को मिल सकते हैं।
हिमाचल में CM जयराम समेत कुल 12 मंत्री हैं और इनमें से 8 लोअर हिमाचल से ताल्लुक रखते हैं। शिमला, सोलन और सिरमौर से सिर्फ सुखराम चौधरी, राजीव सैजल और सुरेश भारद्वाज मंत्रिमंडल में हैं। इनके अलावा ट्राइबल कोटे से इकलौते रामलाल मार्कंडा मंत्री हैं।
CM जयराम के अलावा लोअर हिमाचल से आने वाले मंत्रियों में महेंद्र सिंह, सरवीन चौधरी, वीरेंद्र कंवर, बिक्रम सिंह, गोविंद सिंह, राकेश पठानिया और राजेन्द्र गर्ग शामिल है।
पार्टी वर्करों और जनता में 4 मंत्रियों की परफॉर्मेंस के साथ-साथ उनके व्यवहार को लेकर भी शिकायतें हैं। यह चारों लोअर हिमाचल से ही ताल्लुक रखते हैं। अगर कोई उल्टफेर नहीं हुआ तो पार्टी इनमें से 2 सबसे कमजोर मंत्रियों के टिकट काटेगी।
BJP के अंदर चर्चा है कि इनकी जगह जिन नए चेहरों को मौका देना है, उसके नाम हाईकमान आईडेंटिफाई कर चुका है।
उत्तराखंड में कामयाब रहा प्रयोग
सिटिंग MLA या मंत्रियों के टिकट काटने और उनकी जगह नए चेहरे उतारकर सत्ता में वापसी का फार्मूला नया नहीं है। BJP ने उत्तराखंड में यही फार्मूला अपनाया और सत्ता में वापसी करने में सफल रही।
हिमाचल भी उत्तराखंड की तरह छोटा राज्य है और दोनों पहाड़ी प्रदेशों में कई तरह की समानताएं हैं। दोनों प्रदेशा में विधानसभा की सीटों की संख्या भी लगभग बराबर है।
हिमाचल में विधानसभा की 68 और उत्तराखंड में 70 सीटें हैं। भाजपा ने इसी साल जनवरी में हुए उत्तराखंड के चुनाव में अपने 9 सिटिंग MLA के टिकट काट दिए थे जिनमें वहां के पूर्व CM भुवन चंद्र खंडूरी की बेटी ऋतु खंडूरी भी शामिल थी।
पार्टी ने उत्तराखंड में द्वाराहाट के विधायक महेश नेगी को भी दोबारा टिकट नहीं दिया जिन पर दुष्कर्म का आरोप था। यूपी में भी BJP ने अपने कई सिटिंग विधायकों के टिकट काट दिए थे।
अब पार्टी हाईकमान हिमाचल में भी यही रणनीति अपनाने की तैयारी में है।
मोदी-नड्डा के कारण ‘सरप्राइज एलिमेंट’
हिमाचल BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का होमस्टेट है। PM नरेंद्र मोदी की इन्वॉल्वमेंट भी यहां ज्यादा है। पार्टी संगठन और सरकार में सर्वोच्च पदों पर बैठे दोनों नेताओं की इसी इन्वॉल्वमेंट के चलते टिकट आवंटन में ‘सरप्राइज एलिमेंट’ नजर आने के पूरे चांस है।
भाजपा के टिकट आंवटन में इस बार नड्डा की छाप नजर आने के पूरे आसार हैं।
कांग्रेस से आए नेता एडजस्ट होंगे
BJP हाईकमान कांग्रेस के 2 सिटिंग MLA तोड़कर इस बात का स्पष्ट संदेश दे चुका है कि इस बार 'रिवाज' बदलने के लिए वह किसी भी हद तक जा सकता है। हिमाचल कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष व पूर्व सांसद सुरेश चंदेल और चंबा जिले से ताल्लुक रखने वाले हर्ष महाजन भी BJP में शामिल हो चुके हैं।
हिमाचल में कांग्रेस इस समय सशक्त नेतृत्व और लीडरशिप के ‘वैक्यूम’ के बीच जिस तरह से जूझ रही है, BJP शुरुआती दौर में ही उसका पूरा फायदा उठा लेना चाहती है।
पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ताबड़तोड़ रैलियों की बदौलत चुनाव प्रचार के शुरुआती दौर में ही कांग्रेस को एक हद तक बैकफुट पर धकेलने में कामयाब रही है।
BJP कोर कमेटी में 11 मेंबर
भाजपा के टिकटों पर चर्चा के लिए होने वाली प्रदेश इकाई की कोर कमेटी की मीटिंग अचानक कैंसिल कर दी गई। सिरमौर दौरे पर आए केंद्रीय गृहमंत्री इस अमित शाह को भी इस मीटिंग में शामिल होना था।
हिमाचल भाजपा की कोर कमेटी में 11 नेता हैं। इनमें मुख्यमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष, महासचिव, संगठन मंत्री के अलावा अनुराग ठाकुर शामिल हैं।
इस कोर कमेटी में नाम फाइनल कर पार्टी हाईकमान को भेजे जाने थे। उम्मीदवारों के नाम पर आखिरी मुहर भाजपा के पार्लियामेंटरी बोर्ड में लगती है।
हिमाचल में सिर्फ 1982 के मिड टर्म पोल में ही रिपीट हुई सरकार
हिमाचल प्रदेश के इतिहास में आज तक सिर्फ एक दफा सरकार रिपीट हुई है। वर्ष 1982 के विधानसभा चुनाव के बाद रामलाल ठाकुर के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी मगर वन विभाग में हुए घोटाले की वजह से डेढ़ साल बाद ही रामलाल ठाकुर को हटाकर वीरभद्र सिंह को हिमाचल का नया CM बना दिया गया।
वीरभद्र सिंह तकरीबन डेढ़ साल CM रहे। 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के कुछ महीने बाद हुए लोकसभा चुनाव के साथ ही हिमाचल विधानसभा के मिड टर्म पोल करवा लिए गए। उस चुनाव में कांग्रेस को दोबारा बहुमत मिला और वीरभद्र सिंह फिर से मुख्यमंत्री बने।
उस एक बार को छोड़ दें तो हिमाचल की जनता ने कभी भी सत्तारूढ़ पार्टी को लगातार दूसरी बार सरकार बनाने का मौका नहीं दिया।