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कांग्रेस को दस सीटें देने वाला कांगड़ा जिला कांग्रेस सरकार में दरकिनार
कांगड़ा जिले की अनदेखी करने से लोगों में मायूसी है। जिला मंडी और बिलासपुर से जीते एक-एक विधायक चंद्रशेखर और राजेश धर्माणी को भी बड़ा पद मिलने की उम्मीद थी, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ है।
कांग्रेस को सत्ता में लाने वाले जिला कांगड़ा को सुक्खू सरकार में तवज्जो नहीं मिली है। सरकार बने हुए दो महीने हो गए हैं, बावजूद इसके जिला कांगड़ा के साथ मंडी और बिलासपुर जिले को भी मंत्रिमंडल से बाहर रखा गया है। सुक्खू सरकार में शिमला और सोलन जिले को खास तरजीह दी गई है। कांगड़ा जिले से महज एक मंत्री और दो सीपीएस और एक चेयरमैन बनाए गए हैं।
पिछली जयराम और वीरभद्र सरकार में कांगड़ा से तीन मंत्री हमेशा रहे हैं। सुक्खू सरकार में कांगड़ा के बजाय जिला शिमला को ज्यादा तवज्जो दी है। कांगड़ा जिले से 15 में से 10 सीटें कांग्रेस ने जीती हैं। बावजूद इस जिले से मात्र एक मंत्री चंद्र कुमार और किशोरी लाल, आशीष बुटेल को सीपीएस और आरएस बाली को पर्यटन बोर्ड अध्यक्ष बनाकर जनता के जख्मों में मरहम लगाने की कोशिश की है।
कांगड़ा जिले की अनदेखी करने से लोगों में मायूसी है। जिला मंडी और बिलासपुर से जीते एक-एक विधायक चंद्रशेखर और राजेश धर्माणी को भी बड़ा पद मिलने की उम्मीद थी, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ है। कांग्रेस के सूत्र बताते हैं कि पार्टी के सत्ता में आते ही जिला कांगड़ा से तीन मंत्री पद पक्के माने जा रहे थे, लेकिन ऐन मौके पर सुधीर शर्मा का पत्ता कटने से भी कांगड़ा के लोग नाराज हैं।
मंडी और बिलासपुर में दिया राजनीतिक संदेश
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि सुखविंद्र सिंह सुक्खू सरकार ने जिला मंडी और बिलासपुर को एक राजनीतिक संदेश दिया है। मंडी जिले की 10 सीटों में से 9 सीटें भाजपा, जबकि एक सीट पर कांग्रेस जीती है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का बिलासपुर गृह जिला है। दोनों जिलों से न तो कोई मंत्री और न ही सीपीएस बनाए गए हैं।