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शिमला पुलिस ने बरामद किया IAS के नाम वायरल फर्जी पत्र, सूत्रधार तक पहुंचने के करीब…
हिमाचल प्रदेश के आईएएस (IAS) अधिकारी हरिकृष्ण मीणा के नाम सोशल मीडिया पर कथित भ्रष्टाचार को लेकर जारी हुए फर्जी पत्र मामले की जांच में जुटी शिमला पुलिस को बड़ी कामयाबी मिली है। रिमांड पर चल रहे एक आरोपी से पूछताछ के आधार पर पुलिस ने इस फर्जी पत्र की मूल कॉपी बरामद कर ली है। जांच में सामने आया है कि चंबा जिला के भरमौर निवासी आरोपी मनोज शर्मा ने इस फर्जी पत्र का फोटो खींचा और फिर इसे इंटरनेट मीडिया पर वायरल कर दिया।
पुलिस ने यह भी पाया है कि अधिकारी की छवि बिगाड़ने की नीयत से इस पत्र को आगे वायरल किया गया था। पुलिस शुरूआती जांच में पत्र वायरल करने वालों को गिरफ्त में ले रही है। इसके बाद पुलिस यह पता लगा रही है कि यह पत्र आरोपी तक कैसे पहुंच गया और इसका सूत्रधार कौन है। इस पत्र को वायरल करने की मंशा व इसके सियासी कनेक्शन की भी पड़ताल की जा रही है। पुलिस सूत्रों के अनुसार रिमांड के दौरान आरोपी ने कई अहम खुलासे किए हैं।
शिमला के एसपी संजीव गांधी ने बताया कि इंटरनेट मीडिया में वायरल फर्जी पत्र को बरामद कर कब्जे में ले लिया गया है। इस मामले में चंबा के दो व्यक्तियों से पूछताछ हो रही है। मामले में जांच जारी है और इसे लेकर जल्द महत्वपूर्ण तथ्य सामने आएंगे।
बता दें कि शिमला पुलिस ने मुख्य आरोपी मनोज शर्मा को बीते सोमवार को गिरफ्तार किया था। मंगलवार को कोर्ट में पेश कर पुलिस ने उसका तीन दिन का रिमांड हासिल किया।
मामले के अनुसार आरोपी ने आईएएस अधिकारी की छवि धूमिल करने की मंशा से फ़र्ज़ी पत्र सोशल मीडिया पर वायरल किया था। तफ्तीश के दौरान पुलिस ने पाया कि वायरल करने के दौरान इनकी लोकेशन चम्बा जिला थी। इस आधार पर आरोपी को पकड़ने का जाल बिछाया गया। पुलिस इस पूरे मामले के पीछे सियासी कनेक्शन को भी खंगाल रही है।
गौरतलब है कि हाल ही में आईएएस अधिकारी हरिकृष्ण मीणा की तरफ से बालूगंज थाना में इसको लेकर शिकायत दी गई है। पुलिस को दी शिकायत में कहा गया है कि किसी अज्ञात व्यक्ति ने फर्जी पत्र इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्म पर जारी किया है। पत्र अनमोल सिंह ठाकुर के नाम से जारी किया गया था।
पत्र लिखने वाले ने खुद को हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन में सहायक प्रबंधक बताया था। पत्र पर बाकायदा उनके हस्ताक्षर भी थे। यह पत्र सीबीआई के निदेशक को लिखा गया था जबकि इस नाम का कोई अधिकारी एचपीपीसीएल में कार्यरत ही नहीं है। पत्र में अधिकारी पर भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप लगाए गए थे।