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HP Court: हिमाचल हाईकोर्ट के आदेश, अनुबंध शिक्षकों को स्थायी अध्यापकों की तरह दें वित्तीय लाभ
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अनुबंध आधार पर भर्ती किए गए टीजीटी, पीजीटी और सीएंडवी अध्यापकों को प्रथम नियुक्ति से स्थायी अध्यापकों की तरह वित्तीय लाभ व नियमित करने के आदेश दिए हैं।
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने टीजीटी, पीजीटी और सीएंडवी अध्यापकों की अनुबंध आधार पर की गई भर्तियों को लेकर महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है। अदालत ने इन शिक्षकों को उनके प्रथम नियुक्ति से स्थायी अध्यापकों की तरह वित्तीय लाभ देने और नियमित करने के आदेश दिए हैं। साथ ही उन्हें वरिष्ठता का भी लाभ देने को कहा है। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की एकल पीठ ने यह फैसला पारित किया। अदालत ने कहा कि छह महीने के अंदर याचिकाकर्ताओं को सारे वित्तीय लाभ दिए जाएं। वित्तीय लाभ केवल उन्हीं को मिलेगा, जिन्होंने अदालत में याचिका दायर की है। छह माह में लाभ नहीं देने पर सरकार को छह फीसदी ब्याज भी चुकाना होगा। हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ की ओर से वर्ष 2017 में प्रशासनिक ट्रिब्यूनल में इस बाबत याचिका दायर की गई थी। ट्रिब्यूनल के बंद होने के बाद 2020 में यह मामला उच्च न्यायालय को स्थानांतरित किया गया था।
संघ के 20 हजार सदस्यों को मिलेगा लाभ : वीरेंद्र
याचिकाकर्ता हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने बताया कि कोर्ट के इस फैसले से हिमाचल राजकीय अध्यक्ष संघ के के करीब 20 हजार पात्र सदस्यों सहित कोर्ट में याचिका दायर करने वाले शिक्षकों को ही यह लाभ मिलेगा। उन्होंने बताया कि वर्ष 2010 के बाद नियुक्त हुए अनुबंध शिक्षकों को इस फैसले का लाभ होगा। याचिका 2017 में दायर हुई थी, ऐसे में देय वित्तीय लाभ इस अवधि के बाद मिलेंगे। वरिष्ठता और पेंशन का लाभ वर्ष 2010 के बाद से मिलेगा। चौहान ने कहा कि शिक्षक हित में संघ ने लंबी लड़ाई लड़ी है। हाईकोर्ट का फैसला ऐतिहासिक है।
भर्ती एवं पदोन्नति नियमों में नहीं था अनुबंध का उल्लेख
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ओंकार जयरथ ने बताया कि याचिका में हमने तर्क दिया था कि जब चयन प्रक्रिया वर्ष 2008 में शुरू हुई थी तब भर्ती एवं पदोन्नित नियमों में अनुबंध नियुक्ति का कोई उल्लेख नहीं था लेकिन नियुक्ति अनुबंध आधार पर दी गई। कोर्ट को बताया गया कि अनुबंध पर नियुक्तियां नहीं की जा सकती। नियुक्तियां नियमित आधार पर होनी चाहिए थी। इस बाबत वर्ष 2017 में प्रशासनिक ट्रिब्यूनल में याचिका दायर करते हुए नियुक्ति प्रक्रिया को गलत बताया गया। अब हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने याचिका का निवारण करते हुए शिक्षकों के हक में फैसला दिया है।