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राष्ट्रीय शिक्षा नीति: हिमाचल के कॉलेजों में बदलेगा बीबीए, बीसीए सहित 22 विषयों का पाठ्यक्रम

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राष्ट्रीय शिक्षा नीति: हिमाचल के कॉलेजों में बदलेगा बीबीए, बीसीए सहित 22 विषयों का पाठ्यक्रम

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत रोजगार परक और बाजार की जरूरत अनुसार पाठ्यक्रम में बदलाव किया जा रहा है।  कॉलेजों के वरिष्ठ शिक्षकों की अध्यक्षता में बनी 22 कमेटियों ने उच्च शिक्षा निदेशालय को इस बाबत रिपोर्ट सौंप दी है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति: हिमाचल के कॉलेजों में बदलेगा बीबीए, बीसीए सहित 22 विषयों का पाठ्यक्रम

हिमाचल प्रदेश के कॉलेजों में बीबीए, बीसीए सहित 22 विषयों का पाठ्यक्रम बदलेगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत रोजगार परक और बाजार की जरूरत अनुसार पाठ्यक्रम में बदलाव किया जा रहा है। कॉलेजों के वरिष्ठ शिक्षकों की अध्यक्षता में बनी 22 कमेटियों ने उच्च शिक्षा निदेशालय को इस बाबत रिपोर्ट सौंप दी है। अब शिमला और मंडी विश्वविद्यालय के बोर्ड ऑफ स्टडीज की बैठक में पाठ्यक्रम बदलने को लेकर अंतिम फैसला होगा। उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. अमरजीत कुमार शर्मा ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत प्रदेश विश्वविद्यालय के तहत संचालित हो रहे करीब 22 विषयों को नया रोजगारोन्मुखी स्वरूप देने की तैयारी है।

कला, वाणिज्य, विज्ञान के पारंपरिक विषयों का नया पाठ्यक्रम बनाने के लिए विषय विशेषज्ञों की समितियाें ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस, सॉफ्टवेयर डेवलेपमेंट, वेबसाइट डिजाइनिंग जैसे विषयों को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पारंपरिक विषयों के पाठ्यक्रम अभी तक केवल प्रतियोगी परीक्षाओं को पास करने तक ही सीमित थे। अब पढ़ाई के साथ रोजगार प्राप्त करने की तैयारी पूरी हो सके इसके लिए शिक्षा नीति में पाठ्यक्रम को नया रूप देने को कहा गया है।

नए पाठ्यक्रम को ऐसे बनाया जाएगा, जिससे तीन साल की डिग्री पूरी करने में यदि बीच में किसी भी कारण से पढ़ाई छूट जाए तो पढ़ा हुआ पाठ्यक्रम और समय खराब ना हो। निदेशक ने बताया कि पाठ्यक्रम में थ्यूरी कम कर प्रैक्टिकल को बढ़ाया जाएगा। हर तीन वर्ष बाद पाठ्यक्रम को बदला जाएगा। हर वर्ष भी पाठ्यक्रम में कुछ शामिल करने या घटाने का प्रावधान रखा जाएगा। उन्होंने बताया कि फिलॉस्फी और सोशोलॉजी विषय का पाठ्यक्रम अभी नहीं बदला जा रहा है। इन विषयों को पढ़ाने वाले विद्यार्थियों की संख्या प्रदेश में बहुत कम है। इसमें बदलाव के लिए आने वाले दिनों में विचार किया जाएगा।

1,050 क्लस्टर स्कूलों में होगा संसाधनों का साझाकरण

प्रदेश में करीब तीन हजार वरिष्ठ माध्यमिक और उच्च स्कूलों के 1,050 क्लस्टर बनाए जाएंगे। क्लस्टर स्कूलों में परस्पर सहयोग, संसाधनों के साझाकरण का राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्रावधान किया गया है। चार से 12 स्कूलों को जोड़कर एक क्लस्टर बनाया गया है। एक क्लस्टर में विद्यार्थियों की संख्या 200 से 2,000 के बीच रहेगी। इन स्कूलों में शिक्षकों की कमी की समस्या भी दूर हो जाएगी। शिक्षकों की कमी से जूझ रहे स्कूलों में क्लस्टर से शिक्षक भेजे जाएंगे। स्कूल क्लस्टर बनने से स्कूलों की कला, संगीत, खेल, व्यवसायिक विषयों, कंप्यूटर की शिक्षा और विषय से संबंधित शिक्षकों का आदान-प्रदान करना संभव होगा। पुस्तकालय, विज्ञान प्रयोगशाला, कंप्यूटर लैब, खेल के मैदान, खेल उपकरण जैसी सुविधाएं साझा रूप से प्रयोग की जा सकेंगी। उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. अमरजीत कुमार शर्मा ने बताया कि क्लस्टर स्कूलों की जल्द ही अधिसूचना जारी की जाएगी। 

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