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Himachal Politics: हिमाचल विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद मंडी की सियासत पड़ी ‘ठंडी’

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Himachal Politics: हिमाचल विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद मंडी की सियासत पड़ी ‘ठंडी’

Himachal Assembly Elections: मंडी के धर्मपुर विधानसभा सीट से ही कांग्रेस के प्रत्याशी चंद्रशेखर ने जीत हासिल की. वहीं, द्रंग से पूर्व मंत्री कौल और बल्ह से पूर्व मंत्री प्रकाश चौधरी को भी हार का सामना करना पड़ा है. कांगड़ा के बाद मंडी में सबसे अधिक दस विधानसभा क्षेत्र आते हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस यहां पर एक भी सीट नहीं जीत पाई थी.
Himachal Politics: हिमाचल विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद मंडी की सियासत पड़ी ‘ठंडी’
मंडी. हिमाचल प्रदेश में 2022 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने परचम लहराया.  कुछ जिलों में जहां कांग्रेस ने भाजपा का सूपड़ा साफ कर दिया. वहीं, कुछ में कांग्रेस को झटका लगा. मंडी जिले में कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा. मंडी के 10 विधानसभा इलाकों में केवल एक सीट पर भी कांग्रेस को जीत मिली और 9 सीटों पर भाजपा ने कब्जा जमाया. ऐसे में मंडी से लोगों ने कांग्रेस के खिलाफ जनादेश दिया और अब चुनाव परिणाम के बाद से यहां की सियासी फिजा ठंडी पड़ गई है.

जिला मुख्यालय में एक अजीब सी मायूसी है. परिणाम के बाद जहां जीत के जश्न का माहौल होता था. वैसा, बिल्कुल भी नहीं दिखाई दे रहा है. कारण है जो जीते,उनकी सरकार नहीं बनी और जिनकी सरकार बनी है, वो जीत नहीं पाए हैं. ऐसे में ना तो भाजपा के प्रत्याशी अपनी जीत का जश्न मना पा रहे हैं और ना ही कांग्रेसी. इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि मंडी ने जो जनादेश दिया, प्रदेश में सरकार उसके विपरित बनी है.

लोगों के बीच इस बात को लेकर दबी जुबान में चर्चा बड़े जोरों पर है कि अब मंडी की पूछ-पहचान होगी भी या नहीं. जो विकास के काम चले थे वो पूरे होंगे भी या नहीं। कोई नई योजना आएगी भी या नहीं. मंडी जिला से जीते इकलौते कांग्रेसी विधायक को मंत्रीपद मिलेगा या नहीं. जो दिग्गज हार गए उन्हें कैबिनेट रैंक के साथ बड़ी जिम्मेदारियां मिलेंगी या नहीं. क्योंकि ये वही मंडी है जो बीते पांच वर्षों में सीएम की सौगात से भरी-पूरी थी. अधिकारियों और नेताओं का यहां जमघट लगा रहता था, लेकिन अब सुनसान है. इन्हीं सब चर्चाओं के साथ लोगों की दिनचर्या निकल रही है.

क्या कहते हैं सियासी जानकार
राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि मंडी की कोई भी सरकार अनदेखी नहीं कर सकती. वरिष्ठ लेखक खेम चंद शास्त्री और वरिष्ठ अधिवक्ता संजय मंडयाल का कहना है कि जो विधायक चुने हैं, वो अपने क्षेत्र के विकास के लिए प्रतिबद्ध होने चाहिए. चाहे वे विपक्ष में ही क्यों न हो. जो सीएम बने हैं वो पूरे प्रदेश के बने हैं, ना कि क्षेत्र विशेष के. ऐसे में मंडी में अभी जो सन्नाटा या मायूसी दिख रही है, वो जल्द ही दूर होगी.

सरकार बदले की भावना से कर रही कामः भाजपा
कांग्रेस और भाजपा में अभी से ही विकास कार्यों को लेकर ठनना शुरू हो गई है. मंडी जिला भाजपा के मीडिया प्रभारी प्रशांत शर्मा का कहना है कि सरकार ने शुरू से ही बदले की भावना से काम करना शुरू कर दिया है। पूर्व सरकार के फैसलों को पलटा जा रहा है. सरकार बिना किसी भेदभाव के विकास करे. कांग्रेस का कहना है कि जो नुकसान पार्टी ने यहां झेला है, वो अपनी गलती से झेला है. ना कि जनता ने भाजपा को बहुमत दिया है. सीएम सुक्खू ने पहले ही कह दिया है कि मंडी की कमियों को वे स्वयं पूरा करेंगे.

सियासी राजधानी है मंडी
मंडी को राजनैतिक राजधानी भी कहा जाता है और इस जिले को कभी भी कोई राजनैतिक दल नजरअंदाज नहीं कर सकता.  बता दें कि मंडी के धर्मपुर विधानसभा सीट से ही कांग्रेस के प्रत्याशी चंद्रशेखर ने जीत हासिल की. वहीं, द्रंग से पूर्व मंत्री कौल और बल्ह से पूर्व मंत्री प्रकाश चौधरी को भी हार का सामना करना पड़ा है. कांगड़ा के बाद मंडी में सबसे अधिक दस विधानसभा क्षेत्र आते हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस यहां पर एक भी सीट नहीं जीत पाई थी.

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