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फर्जी प्रमाणपत्र से बन रहे पैराग्लाइडर पायलट, जोखिम में डाल रहे लोगों की जान
पैसे देकर फर्जी प्रमाणपत्र से रातों रात पैराग्लाइडर पायलट बने लोग पयर्टकों की जान जोखिम में डाल रहे हैं। ऐसे लोगों की वजह से कुल्लू जिले में पैराग्लाइडिंग हादसों में वृद्धि हो रही है और पर्यटकों का विश्वास भी कम हो रहा है। आधा अधूरा ज्ञान हादसों का कारण बन रहा है। हर हादसे के बाद पायलटों के प्रशिक्षण पर सवाल उठते रहते हैं,लेकिन किसी ने इस बात को गंभीरता से नहीं लिया। पुलिस पायलट के विरुद्ध लापरवाही का मामला दर्ज कर व पर्यटन विभाग जांच की बात कर अपनी जिम्मेदारी से पल्लू झाड़ लेता था।
35,000 से 40,000 रुपये में पैराग्लाइडिंग प्रशिक्षण के अग्रिम कोर्स के प्रमाणपत्र बेचे जाने के मामले ने पूरी व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है। जिला में करीब 442 पैराग्लाइडिंग पायलट पंजीकृत हैं। पैराग्लाइडिंग के लिए सात साइट चिन्हित है। गडसा की साइट इन दिनों बंद है। पर्यटन के साथ यहां साहसिक गतिविधियां भी बढ़ी है। इनमें पैराग्लाइडिंग प्रमुख है।
फर्जी प्रमाणपत्रों के सहारे बन रहे लाइसेंस
पैराग्लाइडिंग के लिए पायलट का प्रशिक्षित व लाइसेंस होना अनिवार्य है। प्रशिक्षण प्रमाणपत्र भी किसी मान्यता प्राप्त संस्थान का ही मान्य है। स्थानीय स्तर पर पैराग्लाइडर उड़ाने वाले कई व्यक्ति लाइसेंस के मानक पूरे न कर पाने की सूरत में फर्जी प्रमाणपत्रों के सहारे लाइसेंस बनवा रहे हैं। पैसे लेकर बिना प्रशिक्षण अग्रिम कोर्स का प्रमाण पत्र बेचने के आरोपितों ने आरंभिक जांच में 50 से अधिक प्रमाणपत्र बेचने की बात मानी है। जांच बढ़ने के साथ यह आंकड़ा भी बढ़ सकता है।
पुलिस व प्रशासन के समक्ष अब ऐसे लोगों को चिन्हित करना भी बड़ी चुनौती होगा। सरकारी क्षेत्र में नहीं कोई प्रशिक्षण संस्थान पैराग्लाइडिंग प्रशिक्षण के लिए सरकारी क्षेत्र में कोई संस्थान नहीं है। कुल्लू, बीड़ बिलिंग में निजी संस्थानों को प्रशिक्षण के लिए अधिकृत कर रखा है। बेसिक कोर्स 10 से 15 दिन व एडवांस कोर्स भी इतने ही दिन का रहता है। प्रशिक्षण की कसौटी पर खरे उतरने वालों को प्रमाणपत्र मिलता है। पर्यटन विभाग व पर्वतारोहण संस्थान सहित अन्य विभागों की कमेटी के समक्ष ट्रायल होता है। ट्रायल में सफल रहने वालों को लाइसेंस मिलता है। आरोपित का पंजीकृत प्रशिक्षण संस्थान है।