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आईफ्लू की चपेट में हिमाचल; अगस्त में 38 हजार मामले, मंडी-कांगड़ा में संक्रमण ज्यादा

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आईफ्लू की चपेट में हिमाचल; अगस्त में 38 हजार मामले, मंडी-कांगड़ा में संक्रमण ज्यादा

हिमाचल प्रदेश आई फ्लू का संक्रमण काफी ज्यादा फैल चुका है। पिछले एक महीने में प्रदेश भर से 38 हजार लोग आई फ्लू की चपेट में आ गए है। इनमें से 1,701 मामले केवल 28 अगस्त को ही दर्ज हुए। अगस्त महीने में स्वास्थ्य विभाग के पास उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, जिला मंडी में सर्वाधिक 6,084 मामले आए। इसके बाद कांगड़ा में 5,840, हमीरपुर में 5,797, सोलन में 4,033 और चंबा में 3,944 मामले सामने आए। सिरमौर जिले में आंखों में 3,855 मामले, ऊना में 3,471, शिमला में 2,200, बिलासपुर में 1839 व कुल्लू में 1,442 मामले आए। इसके अलावा किन्नौर में 16 मामले सामने आए। लाहौल और स्पीति जिले में अभी तक इस बीमारी का कोई मामला सामने नहीं आया। आई फ्लू को कई अलग-अलग नामों से जाना जाता है।
आईफ्लू की चपेट में हिमाचल; अगस्त में 38 हजार मामले, मंडी-कांगड़ा में संक्रमण ज्यादा
जैसे अधिकांश जगहों पर इसे कंजंक्टिवाइटिस या ‘आंख आना’ कहते हैं वहीं कुछ जगहों पर लोग इस बीमारी को ‘रेड आई’ या ‘पिंक आई’ के नाम से जानते हैं। हमारी आंखों के सफेद हिस्से और पलकों के अंदरूनी हिस्से के बीच एक पतली पारदर्शी झिल्ली जैसी परत होती है जिसे कंजंक्टिवा कहते हैं। आई फ्लू की समस्या इसी कंजंक्टिवा में सूजन होने के कारण होती है। इन दिनों आई फ्लू के अधिकांश मामले ऐडेनोवायरस की वजह से होने वाले वायरल संक्रमण के कारण हो रहे हैं। डॉक्टर बताते हैं, कंजंक्टिवाइटिस तेजी से फैलता है, इसके वायरस लंबे समय तक सतहों पर रह सकते है। संक्रमित सतह जैसे दरवाजे की कुंडी, बेडशीट, दरवाजे, तौलिया, रूमाल आदि के माध्यम से एक से दूसरे व्यक्ति में संक्रमण होने का खतरा अधिक होता है।सभी लोगों को इस संक्रमण से बचाव को लेकर सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता होती है।

क्या कहता है विभाग
राज्य स्वास्थ्य सेवा के निदेशक डा. गोपाल बेरी ने कहा कि राज्य के विभिन्न हिस्सों से कंजक्टिवाइटिस यानी आई फ्लू या आंखों में संक्रमण के मामले दर्ज किए जा रहे हैं। मरीजों में आंखों के लाल होने, चिपचिपाहट, जलन तथा कुछ मामलों में सूजन होने के लक्षण देखे जा रहे हैं। चिकित्सकों ने भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचने और अपना रुमाल, तौलिया, तकिया, चादर तथा कपड़े अलग रखने की सलाह दी है। उन्होंने अभिभावकों को इस बीमारी से जूझ रहे बच्चों को तीन से पांच दिन तक स्कूल न भेजने की भी सलाह दी है।

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