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भांग की खेती को कानूनी मान्यता होगी प्राप्त, HC ने दिए आदेश; जानिए कब होगी अगली सुनवाई
हिमाचल प्रदेश ने भांग की खेती को कानूनी मान्यता प्राप्त होगी। कोर्ट ने सरकार को कहा है कि यदि प्रदेश में मादक पदार्थों के उत्पादन और व्यापार में वृद्धि का अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार की हो तो उसे भी स्टेट्स रिपोर्ट के माध्यम से पेश किया जाए। मादक पदार्थों के अवैध उत्पादन और व्यापार को बेहद कम करने के तरीकों की जानकारी भी मांगी है
प्रदेश हाईकोर्ट में चल रहे भांग की खेती को कानूनी मान्यता प्रदान करने से जुड़े मामले पर सुनवाई 2 नवंबर को होगी। अगली सुनवाई से पहले मुख्य न्यायाधीश एम एस रामचंद्र राव और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने सरकार को प्रदेश में मादक पदार्थों से जुड़े अपराधों को रोकने के उपायों की जानकारी कोर्ट के समक्ष रखने के आदेश दिए हैं।
कोर्ट ने सरकार को कहा है कि यदि प्रदेश में मादक पदार्थों के उत्पादन और व्यापार में वृद्धि का अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार की हो तो उसे भी स्टेट्स रिपोर्ट के माध्यम से पेश किया जाए। कोर्ट ने सरकार से सुझाव के रूप में मादक पदार्थों के अवैध उत्पादन और व्यापार को बेहद कम करने के तरीकों की जानकारी भी मांगी है।
सकारात्मक सोच सामने न आने के कारण नहीं हो पाई थी मामले पर सुनवाई
उल्लेखनीय है कि केंद्र और राज्य सरकार की ओर से सकारात्मक सोच सामने न आने के कारण इस मामले पर सुनवाई नहीं हो पाई थी। 24 जुलाई 2019 को पारित आदेशो में केंद्र व राज्य सरकार को 8 सप्ताह के भीतर इस मामले में निर्णय लेने को कहा था। कोर्ट ने आशा भी जताई थी कि यदि 8 सप्ताह के भीतर कोई निर्णय ले लिया जाएगा तो यह सराहनीय होगा।
सार्थक प्रयास सामने न आने पर मामले की सुनवाई टली
मगर 4 साल बीत जाने के बावजूद कोई सार्थक प्रयास सामने न आने पर मामले की सुनवाई टल गई। हाईकोर्ट ने वर्ष 2018 में दायर मामले में प्रदेश सरकार के वन व स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव, बायोडायवर्सिटी विभाग के निदेशक व केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को प्रतिवादी बनाया है। प्रार्थी का कहना है कि दवाई के लिए उपयोग की दृष्टि से ग्रामीण क्षेत्रों में भांग की खेती को कानूनी मान्यता प्रदान करके किसानों की आर्थिक हालत व युवाओं में बढ़ती बेरोजगारी की समस्या से निदान पाया जा सकता है।
पर्यावरण प्रदूषण को भी किया जा सकता है खत्म
भांग के पौधों को जलाने से उतपन्न होने वाले पर्यावरण प्रदूषण को भी खत्म किया जा सकता है। जनहित के दृष्टिगत यह जरूरी हो जाता है कि इस पदार्थ का दवाइयों के लिए प्रयोग किया जाए। यह पदार्थ असाध्य रोगों जैसे कैंसर व न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर के लिए उपयोग में लाया जा सकता है। इसे नेशनल फाइबर पॉलसी 2010 के अंतर्गत लाया जा सकता है।
कानूनी मान्यता देने की लगाई गुहार
प्रार्थी की ओर से न्यायालय को यह बताया गया था कि इन पदार्थों पर किए गए अनुसंधान के पश्चात इसके उपयोग बारे नशे के प्रचलन को खत्म करते हुए इस को दवा के तौर पर उपयोग में लाया जाने लगा है। हाईकोर्ट के अधिवक्ता देशिंदर खन्ना ने याचिका दायर कर इन पदार्थों की खेती पर लगाई गई रोक को हटा कर इसे कानूनी मान्यता देने की गुहार लगाई है।
राज्य सरकार को दिशा निर्देश बनाने के आदेशों की मांग की
इसके अलावा प्रार्थी ने इन पदार्थों को उद्योगों तथा वैज्ञानिक अनुसंधान में उपयोग में लाने बाबत राज्य सरकार को दिशा निर्देश बनाने के आदेशों की मांग भी की है। प्रार्थी का कहना है कि ड्रग माफिया किसानों से मुफ्त में भांग जैसे मादक पदार्थों को एकत्रित कर तस्करी के लिए इस्तेमाल करते हैं।
जबकि इन पदार्थों को किसानों से कच्चे माल के तौर पर उद्योगों व दवाई के उद्देश्य से एकत्रित किया जा सकता है और किसानों को उचित मूल्य दिलवाया जा सकता है। इससे अवैध तरीके से हो रहे कारोबार पर भी रोक लगेगी।