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BHEL ने शुरु किया लारजी पावर हाउस की मरम्मत का कार्य, जल्द शुरु हो सकेगा बिजली उत्पादन
हिमाचल प्रदेश के मंडी में बने लारजी पनविद्युत प्रोजेक्ट के पावर हाउस की मशीनरी व उपकरणों की मरम्मत का काम शुरु कर भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) के इंजीनियरों द्वारा शुरू कर दिया गया है। इसके लिए भेल के इंजीनियरों की टीम वीरवार देर शाम मंडी में पहुंच गई है। इस राज्य विद्युत परिषद लिमिटेड से 126 मेगावॉट क्षमता का बिजली उत्पादन होता है।
भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (Bharat Heavy Electricals Limited) के इंजीनियरों ने राज्य विद्युत परिषद लिमिटेड (State Electricity Council Limited) के 126 मेगावॉट क्षमता के लारजी पनविद्युत प्रोजेक्ट (Larji Hydroelectric Project) के पावर हाउस (Power House) की मशीनरी व उपकरणों की मरम्मत का काम शुरु कर दिया है। भेल के इंजीनियरों की टीम वीरवार देर शाम मंडी पहुंच गई है। विद्युत परिषद ने एक टरबाइन से दिसंबर के प्रथम सप्ताह में बिजली उत्पादन (Electricity Production) शुरु करने का लक्ष्य तय किया है।
बाढ़ का पानी पावर हाउस में घुसा
हिमाचल प्रदेश के मंडी में स्थित इस प्रोजेक्ट में 42-42 मेगावॉट क्षमता की तीन टरबाइन लगी हुई हैं। मशीनरी व उपकरणों को कितना नुकसान हुआ है तो इस बारे में मरम्मत के दौरान इसका सही तरिके से पता चलेगा। नौ जुलाई को ब्यास नदी में आई बाढ़ का पानी व गाद मुख्य प्रवेश द्वार से होता हुआ पावर हाउस में घुस गया था।
इससे पावर हाउस की चारों भूमिगत मंजिल गाद व पानी से भर गई थी। संभावित खतरे को भांप प्रबंधन ने मुख्य द्वार पर तेल के ड्रम व रेत की भरी बोरियां रखकर पावर हाउस को बचाने के प्रयास किए थे, लेकिन जलप्रलय के आगे किसी की एक नहीं चली थी। ड्यूटी पर तैनात अधिकारियों व कर्मचारियों को भाग कर अपनी जान बचानी पड़ी थी।
इस परियोजना से हर माह 100 करोड़ रुपये का राजस्व आता है
15 जुलाई से पावर हाउस से गाद निकासी का काम चल रहा था। मशीनों व उपकरणों को खोल उन्हें ड्राई किया गया। क्षमता के लिहाज से लारजी पनविद्युत प्रोजेक्ट राज्य विद्युत परिषद का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है। पीक सीजन में ये प्रोजेक्ट बिजली उत्पादन से हर माह करीब 100 करोड़ रुपये का राजस्व विद्युत परिषद के कोष में आता है। सर्दी में ब्यास नदी में पानी की आवक कम हो जाती है।
युद्धस्तर पर होगी टरबाइन की मरम्मत
एक टरबाइन से बिजली उत्पादन करने लायक पानी उपलब्ध होता है। इसी बात को ध्यान में रखकर प्रबंधन ने एक टरबाइन व अन्य उपकरणों की युद्धस्तर पर मरम्मत करने का निर्णय लिया है। मरम्मत कार्य में 200 करोड़ रुपये से अधिक खर्च होने की उम्मीद है। लारजी प्रोजेक्ट से बजौरा व बिजणी फीडर को विद्युत आपूर्ति होती है। भेल के इंजीनियरों ने मशीनरी व उपकरणों की मरम्मत शुरु दी है। दिसंबर के प्रथम सप्ताह तक एक टरबाइन से बिजली उत्पादन शुरु करने का लक्ष्य तय किया गया है।