हाईकोर्ट ने हिमुडा द्वारा टेंडर प्रक्रिया में बरती जा रही धांधलियों की जांच का जिम्मा पांच सदस्यीय कमेटी को सौंपा है।
जांच कमेटी को अपनी रिपोर्ट आगामी चार सप्ताह में अदालत के समक्ष सील्ड कवर में दायर करने के आदेश दिए गए हैं। हालांकि इस मामले में हिमुडा ने अपने स्तर पर ही जांच कमेटी गठित की थी।
हाईकोर्ट ने हिमुडा द्वारा गठित की गई जांच कमेटी से असहमति जताते हुए हिमुडा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी की अध्यक्षता वाली चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया। इस कमेटी में भ्रष्टाचार निरोधक एवं सतर्कता विभाग के महानिरीक्षक के साथ लोकनिर्माण विभाग और जल शक्ति विभाग के प्रमुख अभियंताओं को बतौर सदस्य बनाया गया है।
45 करोड़ रुपए की लागत से शिमला के विकासनगर में हिमुडा द्वारा प्रस्तावित कमर्शियल कॉम्प्लेक्स बनाए जाने के लिए निविदा प्रक्रिया में अनियमितताएं बरते जाने पर प्रदेश हाईकोर्ट ने कड़ा संज्ञान लिया है।
अपने आदेश में हिमुडा की कार्यप्रणाली पर कड़ी प्रतिकूल टिप्पणी करते हुए न्यायाधीश संदीप शर्मा ने कहा कि हिमुडा में सेवारत उच्च पदाधिकारियों द्वारा अपने चेहते को फायदा पहुंचाने के लिए निविदा आवंटन में हेराफेरी और अनियमितताएं बरती हैं जिससे प्रदेश के राजस्व को नुकसान हुआ है।
प्रार्थी दलीप सिंह राठौर और अन्य द्वारा दायर याचिका कि सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने इस मामले से जुड़े रिकॉर्ड को तलब किया और साथ ही अदालत ने हिमुडा के अधीक्षण अभियंता कि अध्यक्षता वाली कमेटी की रिपोर्ट का भी अवलोकन किया। टेंडर प्रक्रिया की जांच पर कमेटी ने रिपोर्ट दी थी कि इस टेंडर प्रक्रिया में धांधली हुई है और अयोग्य उम्मीदवार को टेंडर आबंटित किया गया है।
हिमुडा के उच्च अधिकारी ने अपने शपथपत्र के माध्यम से अदालत को बताया कि टेंडर का आवंटन हिमुडा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के कहने पर किया गया। वहीं हिमुडा के अधीक्षण अभियंता ने अदालत को शपथपत्र के माध्यम से बताया कि उसने इस मामले में पांच अलग-अलग रिपोर्ट दी हैं, लेकिन अदालत के समक्ष किसी भी रिपोर्ट को पेश नहीं किया गया।
इस मामले से जुड़े तमाम रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद अदालत ने पाया कि हिमुडा ने अपना पक्ष रखते समय अदालत से जरूरी जानकारी छुपाई है।
न्यायाधीश संदीप शर्मा ने अपने आदेशों में स्पष्ट किया कि हिमुडा द्वारा टेंडर प्रक्रिया में की गई धांधलियों को उजागर करने के लिए कमेटी का गठन किया जाना जरूरी है। अगली सुनवाई 29 दिसंबर को होगी।
चहेतों को फायदा देने के लिए हटाई जरूरी शर्तेंः अदालत से तथ्य और मामले से जुड़ी जानकारी छुपाने पर न्यायाधीश संदीप शर्मा ने हिमुडा में सेवारत उच्च पदाधिकारियो कि कार्यप्रणाली पर तल्ख टिप्पणी दर्ज की है। अदालत ने पाया कि वर्ष 2017 में हिमुडा द्वारा 45 करोड़ रुपए की लागत से शिमला के विकासनगर में हिमुडा द्वारा प्रस्तावित कमर्शियल कॉम्प्लेक्स बनाए जाने के लिए ऑनलाइन निविदाएं आमंत्रित की थीं।
अदालत ने पाया कि इससे पहले भी हिमुडा ने शिमला के विकासनगर में हिमुडा द्वारा प्रस्तावित मर्शियल कॉम्प्लेक्स बनाए जाने के लिए निविदाएं आमंत्रित की थीं, लेकिन पहले निविदा राशि लगभग 85 करोड़ रुपए थी।
हिमुडा ने इस निविदा पर कोई कदम नहीं उठाया और इसे निरस्त करते हुए दोबारा से ऑनलाइन निविदाएं आमंत्रित कीं। इस बार हिमुडा ने अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए निविदा में कुछ जरूरी शर्तें हटा दी और वासु कंस्ट्रक्शन कंपनी को कार्य आवंटित कर दिया।
पीटीए को रेगुलर करने के खिलाफ दायर याचिकाएं की रद्दः हाईकोर्ट ने पीटीए शिक्षकों को नियमित करने संबंधित राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली सभी याचिकाएं खारिज कर दी। कोर्ट ने इन याचिकाओं पर प्रारंभिक सुनवाई कर स्पष्ट किया था कि पीटीए अध्यापकों का नियमितीकरण अदालत के अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगा। याचिकाएं खारिज होने पर अब इन अध्यापकों के नियमितीकरण में कोई अड़चन नहीं रह गयी है। न्यायाधीश सुरेश्वर ठाकुर व न्यायाधीश सीबी बारोवालिया की खंडपीठ ने प्रार्थियों की याचिकाओं आधारहीन पाते हुए खारिज कर दिया।