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राजस्व मंत्री जगत नेगी करेंगे सुप्रीम कोर्ट में पैरवी, बोले- एक्ट से बाहर हुए तो 13 फायदे होंगे

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राजस्व मंत्री जगत नेगी करेंगे सुप्रीम कोर्ट में पैरवी, बोले- एक्ट से बाहर हुए तो 13 फायदे होंगे

राजस्व मंत्री जगत नेगी करेंगे सुप्रीम कोर्ट में पैरवी, बोले- एक्ट से बाहर हुए तो 13 फायदे होंगे
हिमाचल में बनी सुक्खू सरकार FRA मामले में सुप्रीम कोर्ट से छूट के लिए पैरवी करेगी। ऐसा इसलिए ताकि प्रदेश में इस एक्ट को पूरी तरह से एक साथ लागू किया जा सके और लोगों को इसका लाभ मिल सके। सरकार का मानना है कि दूसरे राज्यों की तरह हिमाचल प्रदेश के एफआरए( फॉरेस्ट राइट एक्ट ) मामलों को सुप्रीम कोर्ट से बाहर रहकर अनुमति मिलनी चाहिए।

सरकार इस मामले के लिए पैरवी करेगी, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मिलने में लंबा समय लग जाता है। इस कारण विकास कार्यों में देरी होती है। राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि कानून की जानकारी देने के लिए अधिकारियों, एफआरए कमेटियों और पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों को प्रशिक्षित किया जाएगा।

राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा एफआरए के तहत वन भूमि से लकड़ी एकत्र करने, औषधीय पौधों के एकत्रीकरण, पशुओं को चराने के साथ साथ जंगलों में सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक अधिकारों सहित 13 मदों में लोगों को हक दिलवाने के मामले में सरकार सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करेगे।

उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ऐसे मामलों की निगरानी करता है। सरकार अदालत में इस मामले की पैरवी कर लोगों को राहत दिलाने का काम करेगी। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद राजस्व एवं जनजातीय विकास मंत्री जगत सिंह नेगी का कहना है कि एफआरए के तहत सामूहिक और व्यक्तिगत दावों के निपटारे के लिए लोगों को जागरूक किया जाएगा।

अभी यह है स्थिति
एफआरए कानून के प्रावधानों के बावजूद जनजातीय क्षेत्रों को छोड़ प्रदेश के चंबा , कांगड़ा सिरमौर, शिमला और अन्य जिलों में लोगों को वनों से मिलने वाले हक की पेचीदा प्रक्रिया से छुटकारा नहीं मिल पा रहा है। लोगों को टीडी लेने के लिए भी वन विभाग के कार्यालयों कें चक्कर काटने पड़ रहें है।

वन अधिनियम 1980 के बाद ग्रामीणों को वनों से मिलने वाले हक में कटौती हुई वर्ष 2006 में एफआरए कानून बना कर केंद्र सरकार ने लोगों को राहत प्रदान करने का प्रयास किया। मगर प्रदेश में अभी तक यह कानून पूरी तरह लागू नहीं हो सका है।

प्रदेश में जंगलों में औषधीय पौधों को एकत्र करने के साथ भैंस और भेड़ बकरियों को चरा कर गुजर बसर करने वाले गुज्जरों के अलावा स्पीति घाटी में भी सभी लोगों को एफआरए के तहत राहत नहीं मिली है। सिरमौर और किन्नौर जिला में भी यही स्थिति है। यहां लोग सालों से वन भूमि पर रह रहे हैं, मगर राजस्व रिकार्ड में उनका नाम नहीं।एफआरए कानून बनने के 16 साल बाद भी प्रदेश में सिर्फ 9 फीसद लोगों को ही इसका फायदा मिल सका है।

विपक्ष में रहकर नेगी प्रमुखता से उठाते रहे हैं मुद्दा
विपक्ष में रहते हुए मंत्री जगत सिंह नेगी इस मुद्दे को विधान सभा में बखूबी उठाने रहें हैं। अब मंत्री बनने के बाद जगत सिंह नेगी ने कहा कि सरकार एफआरए को प्रदेश में पूरी तरह से लागू करेगी। और कहा एफआरए मामले में सरकार सुप्रीम कोर्ट से छूट के लिए पैरवी करेगी।

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